डॉ. कपिल चतुर्वेदी शास्त्री ने बताया की धर्मगुरु धर्माधिकारी गिरधर गोविन्द प्रसाद शास्त्री के आचार्यत्व में कार्तिक शुक्ल बैकुण्ठ चतुर्दशी 11 नबम्बर सोमवार को गोधूलि बेला में बैकुण्ठधाम श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर में बैकुण्ठ चतुर्दशी महोत्सव में श्रद्धालु भक्तों द्वारा 1400 दीपदान करके बैकुण्ठधाम को प्रकाशमान किया जाएगा। धर्माधिकारीजी ने बताया कि बैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन बैकुण्ठधाम के पट (द्वार) खुले रहते हैं, श्रद्धालु भक्तों को दीपदान से अन्नंत पुण्यफल की प्राप्ति के साथ पितरों को मोक्षकी प्राप्ति होती है। पितृदेव प्रसन्न होकर मनोकामना सिद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं, पौराणिक मान्यता के अनुसार चतुर्दशी के दिन श्रीविष्णु भगवान बैकुण्ठधाम से 1400 कमल के पुष्प लेकर वाराणसी (काशी) में पधारकर श्रीविश्वनाथ भगवान को श्री शिव सहस्त्रनाम स्त्रोत्र द्वारा एक-एक नाम का उच्चारण करके एक – एक कमल पुष्प श्री विश्वनाथ भगवान को समर्पित कर रहे थे, उस समय एक कमल पुष्प कम हो गया तब भगवान श्री हरि: अपने हाथ से अपने “कमल नयन” (कमल रूपी नेत्र को) निकालने के लिए हाथ उठाते हैं, उसी समय भगवान श्री विश्वनाथ पिंडी में से प्रकट होकर भगवान श्रीहरि के हाथ को ग्रहण कर प्रसन्न होकर कहा मैंने आपकी परीक्षा लेने के लिए यह कमल पुष्प स्वयंग्रहण किया है, आराधना से प्रसन्न होकर आपको लोकपाल (त्रिलोक का स्वामी) का पदप्रदान करके भक्तों की रक्षा के लिये सुदर्शन चक्र प्रदान करता हूँ। बैकुंठचतुर्दशी के दिन व्रत करके सायंकाल गोधूलि बेला में श्री शिव भगवान को विल्व पत्र एवं श्री विष्णु भगवान को तुलसी पत्र चढ़ाने से जीवन के चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
बैकुंठ चतुर्दशी महोत्सव में बैकुण्ठधाम में 1400 दीपदान
बैकुंठ चतुर्दशी महोत्सव में बैकुण्ठधाम में 1400 दीपदान