कैद सोमेश्वर महादेव को निकालने की मुहिम।
रायसेन दुर्ग के ऊपर स्थित सोमेश्वर धाम मंदिर में बरसों से कैद सोमेश्वर महादेव के गेट खोलने की मुहिम कई वर्षों से चल रही है। यह दरवाजे वर्ष में एक बार सिर्फ शिवरात्रि पर खोले जाते हैं।
कब शुरू हुई मुहिम
पिछले वर्ष कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा शहर में कथा वाचन करने आए थे और उन्होंने कहा था कि अब महादेव मुक्त होना चाहिए, तभी से शहर के कुछ हिंदूवादी संगठनों ने सोमेश्वर धाम मंदिर के द्वार खोलने की मुहिम चला रखी है। यह मंदिर पर्यटन विभाग के अतंर्गत आता है। वैसे शहर के कुछ लोग बड़े सवेरे वहां भ्रमण करने भी जाते हैं, साथ में मंदिर के बाहर से दर्शन भी कर लेते है। 24 जुलाई 2023 से कुछ संगठन इसके लिए एक मुहिम छेड़ रहे हैं।
लोगों ने क्या कहा
इसी तारतम्य में शहर के कुछ लोगों से चर्चा की, लोगों ने कहा द्वार तो खुलना चाहिए लेकिन जब उनसे पूछा गया कि आप कितनी बार अभी तक उस मंदिर के दर्शन करने गए हो तो किसी ने कहा कि हम साल में एक बार जाते हैं किसी ने कहा कि पूरे जीवन में हम दो या तीन बार गए हैं। शहर के सर्राफा व्यवसाय करने वाले संजय सोनी कहते हैं यह हमारी आस्था से जुड़ा हुआ प्रश्न है और कई लोगों ने इसके लिए मुहिम छेड़ रखी है, लेकिन जब हमने उनसे पूछा कि आप कितनी बार गए हो जवाब में उन्होंने कहा कि साल में एक या दो बार, एक और व्यवसाई अशोक खरे कहते हैं वहा नियमित पूजन हो, दर्शनार्थी जाएं तो खोलने का कोई ओचित्य है। पत्रकार विनीत महेश्वरी कहते हैं मंदिर के द्वार खुलना चाहिए, पहले वह रोज ऊपर मंदिर जाते थे, लेकिन अब कभी कभी जाते हैं, वैसे उनका कहना है कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। व्यापारी कमलेश बेलानी भले ही अपने जीवन में दो या तीन बार ऊपर के किले पर दर्शन करने गए हैं लेकिन चाहते हैं मंदिर के द्वार खुले, वह कहते हैं मैं व्यापारी हूं इसलिए मेरे पास समय नहीं है।
कैसा है मंदिर का रास्ता
ज्ञातव्य हो कि इस मंदिर पर जाने के दो मार्ग हैं या तो सीडियो द्वारा, या फिर पीछे के रास्ते से जहां सीढ़ियां नहीं है, कच्चे रास्ते से होकर जाना पड़ता है।
मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा
पिछले वर्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक आम सभा में कहा था कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किले पर रोप वे लगवाया जाएगा, लेकिन वह आमसभा की बात थी, इसके बाद कोई कार्यवाही नहीं हुई। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी ऊपर ताले खोलने के पक्ष में हैं और वह भी पिछले वर्ष किले पर गई थी और उन्होंने जोर शोर से मांग की थी कि यह ताले खोले जाएं, लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ।
यू तो यह आस्था का प्रश्न है यदि मंदिर के ताले खुलते हैं और सरकार यदि ध्यान देती है तो रायसेन किला जो बरसों से उपेक्षित है एक पर्यटन का अच्छा स्थल बन सकता है और कई लोगों को रोजगार मिल सकता है। देखना यह है कि रायसेन के हिंदूवादी संगठनों की आवाज पर्यटन विभाग तक पहुंचती है या यह मुद्दा यूंही ठंडा पड़ जायेगा।
रायसेन से संवाददाता राकेश जैन की रिपोर्ट